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नीलगाय (अंग्रेजी: Nilgai)। नीलगाय हमारे आस पास दिखने वाले मृग हैं, ना की गो वंशी।

  • लेखक की तस्वीर: Tanweer adil
    Tanweer adil
  • 12 अक्टू॰ 2021
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 3 जुल॰ 2022

परिचय: क्या आप जानते है? की नीलगाय (Nilgai) (बोसेलाफस ट्रैगोकैमेलस) एक मृग है न की गो वंशी। जिसका शाब्दिक अर्थ है "नीली गाय"। यह सबसे बड़ा एशियाई मृग है और उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे जयादा पाया जाता है। नीलगाय दिन के समय ज्यादा सक्रिय होते हैं, ये आम तौर पर झुण्ड में ही रहते हैं।


विशिष्टता: नीलगाय (Nilgai) एक मजबूत पतली टांगों वाला सुडौल मृग होता हैं । नीलगाय की विशेषता झुकी हुई पीठ, गले पर एक सफेद पट्टी के साथ एक गहरी रंग का गर्दन और छोटा सर होता हैं, सफ़ेद गर्दन के साथ बालों की एक छोटी रेखा जो पीठ के ऊपर से सर के पीछे तक आती हैं और चेहरे पर सफ़ेद धब्बे होते हैं। गर्दन पर लटकते मोटे बाल होते हैं। वयस्क नीलगाय नर में नीले-भूरे रंग का आवरण होता है, केवल पुरुषों के सींग होते हैं, जो 5-10 इंच लंबे होते हैं। जबकि मादा और किशोर नारंगी भूरा से पीला भूरा रंग की होती हैं।

नीलगाय की ऊचाई कंधे तक 1-1.5 मीटर (३ - 5 फीट) तक होता है, नर नीलगाय का वजन 100-285 किलोग्रामऔर मादा का वजन १००-215 किलोग्राम तक हो सकता है।

आवास और व्यवहार: नीलगाय (अंग्रेजी: Nilgai) भारतीय उपमहाद्वीप का स्थानीय प्रजाति है, प्रमुख आबादी भारत, नेपाल और पाकिस्तान में है। नीलगाय सबसे अधिक संख्या में हिमालय की तलहटी में तराई के निचले इलाकों में पाए जाते हैं। नीलगाय पूरे उत्तरी भारत में प्रचुर मात्रा में है। 2001 में भारतीय में इनकी जनसंख्या का अनुमान दस लाख था।

नीलगाय (अंग्रेजी: Nilgai) मादाओं का गर्भकाल आठ से नौ महीने तक रहता है, जिसके बाद एक बछड़ा या जुड़वां (कभी-कभी तीन गुना भी) पैदा होते हैं। गर्भवती महिलाएं जन्म देने से पहले खुद को अलग कर लेती है, जनम देने के बाद बच्चे को छुपा कर रखतीं है। बछड़े जन्म के ३०- ४० मिनट के भीतर खड़े हो सकते हैं, और थोड़ी देर में चलना भी सीख लेते हैं, जंगलों में यही क़ानून है जो जल्दी चल न सका वो मारा जाता है।


इनका झुण्ड 2 से 70 नील गाय तक का हो सकता हैं, जिनमे मादा, बच्चे और वयस्क नर सभी होते हैं । खतरे की स्थिति या डर जाने पर ये अपने मजबूत और पतले पैरों के सहारे आधा किलोमीटर तक जाने के बाद ही रुकते हैं, इसलिए इनका पीछा किया जाना किसी भी शिकारी जानवर के लिए मुश्किल हो जाता हैं।

नीलगाय झाड़ीदार जंगलों और घास के मैदानों, खेतों और छोटी झाड़ियों और काम घने जंगल वाले क्षेत्रों को पसंद करते हैं।

नीलगाय प्रतिदिन मुख्य रूप से दिन के दौरान सक्रिय होती है। सुबह, दोपहर और शाम के समय भोजन किया जाता हैं।

आहार: नीलगाय शाकाहारी होतीं हैं, आमतौर पर भारत के शुष्क उष्णकटिबंधीय जंगलों में पाए जाने वाली वनस्पतियों को खाती हैं पौधे, घास और क्योंकि वे उच्च शाखाओं तक पहुँच सकते हैं तो ऊँची पत्तियों को आसानी से आहार बना लेतीं है ये केवल सतही वनस्पति पर निर्भर नहीं होते हैं। वे कृषि भूमि में आम हैं, और किसानो के लिए ये सर दर्द बन जाते है, ये सुबह और शाम के वक़्त खेतों पे झुंडो के साथ फसलों को चट कर जाते है जिससे उत्तरी भारत के किसानों को काफी आर्थिक हानि होती है।



Kingdom (जगत): Animalia

Phylum (संघ): Chordata

Class (वर्ग): Mammalia

Order (गण): Artiodactyla

Family (कुल): Bovidae

Genus (वंश): Boselaphus

Species (जाति): B. tragocamelus

Scientific name (वैज्ञानिक नाम): Boselaphus tragocamelus


IUCN: LC

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Dr. Tanweer Adil

My name is Dr. Tanweer Adil and I have been involved with this profession for the last 10 years. During my time living in Delhi, I would often go to hilly places like Himachal Pradesh, Uttarakhand, Kashmir during .....

 

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