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चुहड़ी (Eng: Chuhadi, W. Champaran. Bihar), Chanpatiya block। 250 सौ साल पुराना है, चुहड़ी का इतिहास॥

  • लेखक की तस्वीर: Tanweer adil
    Tanweer adil
  • 18 मई 2022
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 22 जून 2022

बेतिया से लगभग छह मील उत्तर में पासा-लोहेरिया सड़क के पास एक गाँव, जिसका नाम "चुहड़ी" है, बेतिया में जेसुइट मिशन (ईसाई धर्म का प्रचार करने के उद्देश्य से सोसाइटी ऑफ़ जीजस नामक संस्था के सदस्य) का एक स्टेशन है।

1785 में पेन्ना के फादर होरेस ने तिब्बती अधिकारियों के आदेश पर निराशा में लहासा छोड़ दिया, वह और उनके दो साथी केवल इस शर्त पर प्रचार कर सकते हैं कि उन्होंने तिब्बती धर्म को अच्छा और परिपूर्ण घोषित मानना होगा और लोगो को बताना होगा। लेकिन फादर होरेस पाटन (नेपाल) में मिशन धर्मशाला में लौट आए और वहाँ लगभग छह सप्ताह बाद उसकी मृत्यु हो गई। यहाँ मिशन 24 वर्षों तक वहां जारी रहा, जब तक कि गोरखाओं ने नेवार वंश को नष्ट नहीं कर दिया और कैपुचिन फादरों (Capuchin Friars, रोमन कैथोलिक चर्च के पादरियों और ब्रदर के फ्रांसिस्कन आदेश की एक स्वायत्त शाखा है।) को निष्कासित कर दिया। वे 1769 में चुहरी में शरण लिया हुए थे।


बेतिया के राजा ने उन्हें जमीं दान में दिया था और उनके नेवार (नेवार या नेपामी, काठमांडू घाटी के ऐतिहासिक निवासी हैं) को एक शरण (किसी राज्‍य या देश द्वारा अन्‍य देश के नागरिक को दी गई शरण (विशेषतः राजनैतिक कारणों से) में परिवर्तित कर दिया था।

वहां मिशन तब से बना हुआ है जब से लड़कों के लिए एक अनाथालय और एक माध्यमिक अंग्रेजी स्कूल, दो फादर और दो ब्रदर के लिए एक प्रेस्बिटरी (पूजा घर या गिरिजा घर) बनाए गया था।

अनाथों और अन्य छात्रों के रहने के लिए एक बड़ी इमारत बनाई गई है।

यहाँ लड़कियों के लिए विशेष रूप से अनाथालय और मिडिल स्कूल भी है, विधवाओं के लिए घर और मुफ्त डिस्पेंसरी (अस्‍पताल का वह स्‍थान जहाँ रोगियों के लिए दवाएँ तैयार की जाती हैं) भी है। लड़कियों के लिए टीचर्स ट्रैंनिंग स्कूल ये सभी हौली क्रॉस के सिस्टरों के द्वारा संचालित किया जाता हैं।

(1951 की जनगणना के अनुसार यहाँ की आबादी 2249 वयक्ति और इसका छेत्र 698 एकड़ था।)



 


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